Madhu Arora

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अनोखी दोस्ती

अनोखी दोस्ती भाग 4
अभी तक आपने पढ़ा, सिया विनय से मिलने आई और वह कैसे आपस में प्यार की बातें कर रहे हैं इसके आगे

 कोयल ने सारी रात सोच कर रात बिताई उसकी आंखों से तो नींद मानो कहीं गायब ही हो गई थी।
 
 उसने सोचा वह बिल्कुल बेचारी बनकर नहीं रहेगी वह पढ़ी-लिखी है, और वह काम कर सकती है । 
 
 कोयल तो काफी पढ़ी लिखी थीअगली सुबह उसने पहले जिस कंपनी में नौकरी करती थी उसके मैनेजर को फोन लगाया।
 
 मैनेजर बोले "वाह कोयल! आज कैसे हमारी याद आ गई हम तो तुम्हारे काम को हमेशा ही याद करते हैं"।
 
 कोयल कुछ "नहीं बस सर क्या मुझे वहांँ नौकरी मिल पाएगी"।
 
" हांँ हांँ क्यों नहीं इतने होनहार कर्मचारी
 की तो हम तलाश करते हैं ।और तुम तो वैसे भी यहांँ काम कर कर गई हो "तुम बहुत मेहनती हो जब चाहे तब आ सकती हो।
 
 कोयल के मैनेजर ने 2 दिन में ही उसको ऑफर लेटर भेज दिया सैलरी भी अच्छी खासी थी।
 
   यह सुनकर कोयल खुश हो गई।
   
 सोचा चलो अपनी सास को बता देती हूं वह भी खुश हो जाएंगी।
 
 वह अपनी सास रेखा देवी को बताने गई। "मम्मी मेरी नौकरी लग गई है ।"
 वह बोली नौकरी करोगी तुम?" कितनी सैलरी है।"?
 
कोयल खुश होते हुए" एक लाख के करीब है मम्मी जी।"
 
अरे वाह
सास ससुर दोनों खुशी से चहकते हुए बोलते हैं

 उधर उसके ससुर भी बोले चलो अच्छा है" विनय के कंधों का भार भी थोड़ा कम हो जाएगा यह तो बहुत अच्छी बात है"।
 
 "तू जा ज्वाइन कर ले"।
 
 अब कोयल सुबह ऑफिस जाने लगी, अब उसको कोई टॉर्चर करने वाला नहीं था । उसकी लाइफ थोड़ी बेहतर होने लगी।उसका पूरा दिन तो शांति से कटने लगा घर पर भी लोगों का व्यवहार थोड़ा ठीक होने लगा।
 
 हालांकि कोयल समझती थी कि यह सब परिवर्तन उसकी नौकरी की वजह से हैं, पर फिर भी उसके मन में सुकून था कि वह दिन भर तो उन लोगों की बातों से बच जाती है।
 धीरे-धीरे विनय का व्यवहार भी उसके प्रति बदलने लगा
 दिन पर दिन अच्छा काम करने की वजह से कोयल का जल्दी ही प्रमोशन हो गया।
 
 कोयल खुद से बोलती है वहांँ !"प्रमोशन कितना अच्छा लग रहा है मैंने क्यों नहीं पहले उस घर से निकल कर जॉब तलाशी इतने दिन तक मैं क्यों उनकी बदतमिजिया बर्दाश्त करती रही। कितने गिरे हुए लोग अब मुझे मेरे पैसों की वजह से ही घर पर रखे हुए हैं।"
 
 एक रात कोयल विनय के कमरे में जाती हैं विनय मैं तुम्हारा डिनर लेकर आई हूं।
 
 विनय बोला हांँ मैंने ही मां को बोला था डिनर रखकर कोयल नीचे जाने लगी ।
 
 विनय बोला" कितना काम करोगी
 थोड़ी देर मेरे पास बैठो ना"।
 
  शादी के 2 साल बाद यह सब नाटक है झूठ है फिर भी उसे बहुत अच्छा लग रहा था.......
   वह विनय से प्यार जो करती थी विनय बोला और सुनाओ "कंपनी का काम कैसा चल रहा है।"
   
   रात भर बातें करेंगे इतनी कम देर बात करके मेरा मन। नहीं भरा आओ पास बैठो सारी रात आराम से बातें करेंगे। कोयल यह जानते हुए भी कि यह सब नाटक है दिखावा है फिर भी विनय की बात मान ली ।
   
   सुबह हो गई कोयल तैयार होकर विनय के कमरे से बाहर निकले तो रेखा ने देख लिया रेखा बोली "खबरदार जो तूने मेरे लड़के को फंसाने की कोशिश की।
   बात आगे नहीं बढ़नी चाहिए आगे कुछ गुल खिलाए तो देख लेना मैं तेरा हाल क्या करूंगी।"
   
   कोयल की सास ने तो सीधा मना कर दी विनय से संबंध बनाने को।
   
   पर कोयल के हाथ में कहांँ कुछ था। अब विनय रोज कोयल से वही सोने की जिद करने लगा।
   
            आगे का भाग जानने के लिए अपनी प्रतिक्रिया देते रहिए आपकी प्रतिक्रिया मुझे लिखने का प्रोत्साहन देती है।
   रचनाकार ✍️
मधु अरोरा

   
   

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1 Comments

Abhinav ji

01-Jun-2023 09:07 AM

Very nice 👍

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